जिन्दगी में उम्मीद
उम्मीदों पर है
ये दुनियाँ
हर करता है
अच्छे की कामना
बोते है बीज
यह सोच कर
अंकुरित होगा
एक दिन
जीवन में
हर क्षण
अंकुर
खिलता है
नये सतरंगी
सपने लिए
जब दिखता है
खेत में
बीज का अंकुर
किसान का मन
हो जाता है प्रसन्न
फलीभूत
अंकुरित होगी
इन्सान की
हर इच्छाए
अगर वह
सच्चे मन से
मांगे ईश कृपा
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल