जिन्दगी भर दर्द का सेहरा मिला
जिन्दगी भर दर्द का सेहरा मिला ।
एक तो’हफा प्यार में ऐसा मिला ।।
याद तन्हाई तड़प रुसवाईयाँ ;
साथियों का ऐसा’ भी मजमा मिला ।
उम्र भर जिसके लिए रोते रहे ;
वो मेरे अंदर मुझे जिन्दा मिला ।
वक्त ने जिस पर लगाई बेड़ियाँ ;
वो परिंदा भी फलक छूता मिला ।
बाँध लो जागीर कितनी भी मगर ;
दौरे’-रुक्सत पर बताना क्या मिला ।
चोट खाए लाख चेहरे रो पड़े ;
और उनपर दर्द भी हँसता मिला ।
जख्म सहकर खुद हँसाता है मुझे ;
यार मुझको मोम के जैसा मिला ।
गौर से देखा जो मैंने भीड़ में ;
मेरा’ दुश्मन खुद मे’रा साया मिला ।
अब खिलौना टूट जाये गम नहीं ;
जब दिलों का हाल ही टूटा मिला ।
कद मेरा नापा सभी ने आज तक ;
मैं उठा तो आसमां बौना मिला ।
आज देखा जब जेेहन में झाँक कर ;
एक बेबस आदमी रोता मिला ।
दर्द ‘स्मित’ कौन बाँटेगा यहाँ ;
जो मिला वो ही बहुत तनहा मिला ।
राहुल द्विवेदी ‘स्मित’