जिन्दगी तू तो बड़ी बेजोड़ है
जिंदगी तू तो बड़ी बेजोड़ है
सब सहती, फिर तू कब कमजोर है ?
कितनी दुःख की घड़ियां आतीं
तू ना इससे कभी घबराती
फिर तू कब कमजोर है?
जिंदगी तू तो बड़ी बेजोड़ है ।
जाने कितने सपने आते
बस कुछ उनमें पूरे हो पाते
हर सुख-दुख सम भाव में जीकर
तू है सदा मुस्काती
फिर तू कब कमजोर है ?
जिंदगी तू तो बड़ी बेजोड़ है ।
मौसम आते, पतझड़ भी लाते
भिन्न-भिन्न रूपों में जाने
कितने रंग दिखाते,
संघर्षों के कठिन समय में
जीवन से ही प्रश्न उठाते,
हालातों से डरने के बदले
तू मन में आस जगाती,
फिर तू कब कमजोर है ?
जिंदगी तू तो बड़ी बेजोड़ है।
रागिनी