जिन्दगी को नाम तेरे
जिन्दगी को नाम तेरे कर मुहब्बत क्या करूँ
ख्वाहिशें तेरी दहकती तो सियासत क्या करूँ
आयना तू रुप का मेरा बना है आज जब
तब किसी के कुछ कहन पर मैं अदावत क्या करूँ
मस्तियाँ जिनके नयन में बन खिलौना खेलती
उस चतुर नारी बयानी की नजारत क्या.करूँ
यह चमन रौशन रहा है अब तलक ही आपसे
साँस हर अपनी तुझे देकर इनायत क्या करूँ