जिन्दगी को गुजार दो
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जिंदगी को गुजार दो
खिलखिलाते हँसते हँसते।
न जाने किस वक्त,कब कहाँ,
जिंदगी निकल जाए
हाथ से फिसल के।
बहुत नज़दीक से देखा है
जिंदगी को तड़पते बिलखते।
एक पल में कांटा है जिंदगी
दूसरे ही पल फूल खिलखिलाते।
वो जिंदादिल है जो
हर हाल में मुस्कुराते
????—लक्ष्मी सिंह ??