जिन्दगी के इम्तेहान
जिन्दगी बहुत इम्तेहान लेती है
कभी हसाती और कभी रूलाती है
मन विचलित जब होता है
रह रह कर उनकी याद सताती है
प्यार मोहोब्बत से जब संवारने लगो
अपने दिनों को सँभालने लगो
किस्मत भी आ कर तरसाती है
तब उनकी याद बहुत सताती है
कशमकश से भरी हुआ जिन्दगी
खुद पर हाथ रखने नहीं देती
मन को झकझोर कर चल देती है
बस उनकी याद बहुत रुलाती है
पास होने का एहसास ही बस होता है
वक्त जानता है क्या क्या खोता है
एकांत में मन पुकारता है जब उन्हें
याद सताती है पर वो नहीं आती है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ