जिन्दगी का सफर
मेरी जिन्दगी की सफर कि यादे
कुछ इस तरह का रहा
खुशियाँ कम ,गम पर जिन्दगी
मेरा ज्यादा टिका रहा
रोने के कई बहाने मिले
खुशी की तलाश चलता रहा।
जिन्दगी में कितने बार हुए लहूलुहान
न पूछो तुम मुझसे यारों
क्योकि चोट गैरो से नही
सदा अपनो से मिलता रहा
गैर होते तो लड़ भी लेता
अपनों की मार था
इसलिए चूपचाप सहता रहा।
~अनामिका