जिन्दगी एक तमाशा
जिन्दगी एक तमाशा है
खुद ही बने हैं मदारी
जब तक प्राणवायु है
यह खेल रहेगा जारी।।
जीवन का है हर पल एक पहेली
जिसकी हम सब हैं सहेली
हर जीवन की है यही कहानी
फ़िर भी हम है अज्ञानी।।
इस जीवन में कुछ की तारीफ़ होती है
तो कुछ पर करते हैं हम शक
जब कि खुद को भी मालूम नही है
किस पर जताए अपना हक।।
इस जीवनकाल के चक्र में
बहुत यादें होती है इकट्ठा
पर जो सब यादों को सहेज कर रखें
वही है जीवन जीने का असली पट्ठा।।
जो कल था वो बीत गया
जो चल रहा वही आज है
जिन्दगी बस एक पल में है
मत ढूंढो उसे कल में
जो आएगा कल को किसने देखा
कोई भी पल हैं नहीं ठहरा
यही सच है जो हैं कड़वा ।।
फ़िर क्यो न-
जिये जिन्दगी ऐसे
की जिंदगी को ही हम मिले हैं जैसे।।
प्रस्तुति:-
पवन ठाकुर “बमबम”
गुरुग्राम
05.12. 2020