जिन्दगीं में और आफत अब न हो
हो चुकी जो भी सियासत अब न हो
मुल्क से मेरे बगावत अब न हो
आपको सौंपा है’ दिल अनमोल ये
इस अमानत में खयानत अब न हो
हमसे’ पीकर दूध हमको ही डसें
ऐसे’ साँपों की हिफाजत अब न हो
हम मरें जिन्दा रहें कुछ गम नहीं
गीदड़ों की बादशाहत अब न हो
जो लड़ा आपस में’ दे हमको यहाँ
धर्म की ऐसी तिजारत अब न हो
बचपने से पचपने तक सब सहीं
जिन्दगीं में और आफत अब न हो