जिनसे ये जीवन मिला, कहे उन्हीं को भार।
जिनसे ये जीवन मिला, कहे उन्हीं को भार।
क्या नर तेरी सभ्यता, क्या तेरे संस्कार।।
जब तक तन के साथ है, मैं-मेरा संबंध।
आत्म संग परमात्म का, कैसे हो अनुबंध।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
जिनसे ये जीवन मिला, कहे उन्हीं को भार।
क्या नर तेरी सभ्यता, क्या तेरे संस्कार।।
जब तक तन के साथ है, मैं-मेरा संबंध।
आत्म संग परमात्म का, कैसे हो अनुबंध।।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद