जिनके लिए हमने फसादात छोड़े थे??
जिनके लिए हमने फसादात छोड़े थे
चेहरे पर वो कई नक़ाब ओढ़े थे
उल्फ़त में हमने कई अरमान जोड़ें थे
उल्टे गिरे जमीं पे समझदार थोड़े थे
उलझा के इश्क़ में नामुराद चल दिया
पाने को उसे हम पीछे – पीछे दौड़े थे
मुख़्तसर मुलाकात की भी आस छोड़े थे
आशिक़ मिज़ाज़ थे हम वो अय्यार थोड़े थे
जीत जाते हम भी यारों जंग इश्क़ की
साहिल” तरकश में मगर तीर थोड़े थे
#sk?