Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Nov 2017 · 8 min read

जिद

मेरी यह कहानी राजस्थान पत्रिका में 29.3.2017 को प्रकाशित हो चुकी है।
चंदर आज बेहद खुश था। आज उसकी जिंदगी का हसीं सपना सच हो गया था। प्रारब्ध ने उसे वो हर चीज दी थी जो अभी तक उसने चाही थी, उच्च शिक्षा, अच्छी, प्रतिष्ठित नौकरी, उच्च पद, और उस पर जान लुटाने वाला परिवार। और जीवन के सफर में एक मनचाहा हमसफर भी मिलने जा रहा था अब उसे जिया के रूप में। अभी अभी वह जिया से ही तो मिल कर आरहा है। उसका भोला, कशिश भरा, धीर गंभीर सौन्दर्य उसे रह रह कर अपनी ओर खींच रहा था। जिया ठीक वैसी ही लड़की थी जैसी कि उसे चाहत थी। चंपई गोरा रंग, तीखे नाक नक्श, तनिक मुस्कुराने भर से उसके गालों में आकर्षक डिम्पल पड़ जाते थे। खुल कर तो वह आज एक बार भी नहीं हंसी थी, हाँ एकाध बार थोड़ा मुस्कुराई भर जरूर थी। एक अपूर्व तेज ओर ओज से दीप्त था उसका मोहक सौन्दर्य जिसने उसके व्यक्तित्व को एक अपूर्व गरिमा दी थी। फिर अपूर्व सौंदर्य की स्वामिनी होने के साथ साथ वह वह एक इंजीनियर भी थी जो एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक अच्छे पद पर कार्यरत थी। जिया जैसी सुयोग्य, उच्च शिक्षित, और सुंदर लड़की से रिश्ता तय होने के बाद उसे अपनी किस्मत से रश्क हो रहा था। उनकी टक्कर कि जोड़ी खूब जँचेगी, तनिक मुसकुराते हुए उसने सोचा था। वह भी जिया से किसी बात से कमतर न था। स्मार्ट, सुदर्शन, एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के साथ वह जिधर से निकलता, नजरें उठ जाती। साथ ही वह भी बी टेक, एम बी ए इंजीनियर था जो एक ऊंचे पद पर एक प्रतिष्ठित एम एन सी में नौकरी कर रहा था।
रिश्ता तय होने के बाद बधाइयों का तांता लगा हुआ था। एक के बाद एक परिचितों, रिशतेदारों, दोस्तों के फोन घर के सभी सदस्यों के पास आए जा रहे थे। चंदर अपने कमरे से बाहर आया था। माँ अतिशय प्रसन्नता से खिलखिलाते हुए किसी को बता रही थी-“भाग अच्छे है हमारे जो चंदर को उसके मेल की लड़की मिल गई। देर जरूर लगी ऐसी लड़की मिलने में लेकिन सर्वगुणसंपन्न है यह लड़की। मेरे चंदर से हर मायने में मेल खाती है। गोरी चिट्टी हाथ लगाए मैली होती है। बिलकुल देवप्रतिमा सी मोहक गढ़न है लड़की के चेहरे की। सच कहूँ तो हमारे तो भाग खुल गए ऐसी लड़की से रिश्ता करके। साथ ही इंजीनियर है, एम बी ए की डिग्री के साथ। डेढ़ लाख रुपया कमाती है लड़की इत्ती सी उम्र में,” माँ अत्यंत गर्व से बहुत आह्लादित स्वरों में भावी बहू का बखान कर रही थी किसी से। उनके हृदय की खुशी मानो उनके स्वरों से छलक़ी पड़ रही थी।चंदर फिर से अपने कमरे में आगया था और अपने लैप टॉप पर जिया का फेस बुक का पेज खोल कर बैठ गया था। जब से जिया से उसके रिश्ते की बात चली थी, पिछले करीब छै माह से वह जिया का फेस बुक स्टेटस रोज पढ़ रहा था। और हर नए दिन का नया स्टेटस उसके व्यक्तित्व का एक नया आयाम उसके समक्ष खोल रहा था। एक नए अंदाज में उसके व्यक्तित्व की गहराई का खुलासा उसके समक्ष कर रहा था।
“एक गूढ पहेली है जिंदगी, कितनी अनपेक्षित और हैरानी भरी”
क्या सोच कर लिखा होगा उसने यह—चंदर समझ न पाया था। कि तभी कल के उसके स्टेटस पर उसकी नजर पड़ी थी –
जिंदगी जब खुशियाँ देती है तो कितनी प्यारी लगती है और जब दर्द देती है तो कितनी कड़वी, अप्रिय।
इतनी छोटी उम्र में इतनी बड़ी बड़ी बातें, मानना पड़ेगा, अथाह बौद्धिकता कूट कूट कर भरी है इस लड़की में। उसके व्यक्तित्व के इसी पक्ष ने चंदर को बड़ी शिद्दत से अपनी ओर आकर्षित किया था।
कि तभी कुछ ऐसा हुआ था कि घर भर की खुशियों को ग्रहण लग गया था। जिया की माँ का फोन आया था और उन्होने चंदर की माँ से कहा था—
“बहनजी हम यह रिश्ता आगे नहीं बढ़ा पाएंगे, कुछ ऐसी परिस्थिति बन गई है कि अभी जिया विवाह नहीं कर पाएगी। हमें क्षमा करे, आप अपने बेटे का रिश्ता कहीं और तय कर लें”।
घर का हर सदस्य अचंभित था, जिया के घर से आई इस खबर को सुनकर।
खासकर चंदर, उसे तो ऐसा लग रहा था, मानो चाँद उसकी झोली में आते आते रह गया हो।
पिछले करीब वर्ष भर से वह जिया के संपर्क में था। आजकल यूं भी उच्च शिक्षित, समझदार लड़के लड़की बिना एक दूसरे को जाने पहचाने, शादी तय करने के पक्ष में नहीं होते। चंदर और जिया पिछले करीब एक वर्ष से एक दूसरे के साथ नैट पर चैटिंग कर रहे थे। और दोनों के मानसिक स्तर और विचारों के मिलने पर कुछ दिनों से वे दोनों गाहे-बगाहे छुट्टी के दिन साथ साथ घूम फिर रहे थे। इस तरह परस्पर चैटिंग और घूमने फिरने कि वजह से काफी नजदीक आगए थे। और फिर उन्होने विवाह के लिए अपनी रजामंदी दे दी थी। कल तक तो सब कुछ ठीक ठाक था। फिर यह अचानक एक दिन में क्या हो गया, घर का हर सदस्य यह सोच पाने में असमर्थ था। कि निराश चंदर बोले पड़ा था, “अरे माँ, मैं अभी जिया के घर जाकर उससे बात करता हूँ, कल तक तो सब ठीक ठाक था, अचानक एक दिन में क्या हो गया”?
“हाँ बेटा चल, मैं भी चलती हूँ तेरे साथ, वहाँ जाकर आमनेसामने बात कर के ही पता चलेगा, आखिर बात क्या है”?
चंदर और उसकी माँ झटपट जिया के घर पहुंचे थे। जिया की माँ ने कुछ खास कारण न बताते हुए मात्र यह कहा था, बहनजी कुछ खास कारण नहीं है, जिया अभी विवाह नहीं करना चाहती, बस, तो हमने आपको बता दिया।
“आंटीजी, पिछले छै: माह से मैं जिया के अत्यंत नजदीक आ गया हूँ। मैं उसे अपनी पत्नी मान चुका हूँ। अब आप बिना किसी कारण के इस रिश्ते से पीछे कैसे हट सकती हैं?”
कि तभी जिया बोले पड़ी थी, चंदर बात ऐसी है कि पापा को गबन के झूटे इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया गया है, और वे अभी जेल में हैं। पापा निर्दोष हैं, उन्हे उनके सहकर्मियों ने इस केस में झूटा फंसाया है। खैर, अब बताओ, क्या अब भी तुम मुझसे विवाह करने को तैयार हो? बोलो? आज या कल, आपलोग यह बात पता पड़ने पर, रिश्ता तोड़ ही देते, इसलिए मैंने ही माँ से रिश्ते के लिए ना कारवाई थी।“
“क्या अंकलजी जैसे ईमानदार आफिसर, जो तुम्हारे विवाह के लिए प्रोविडेंट फंड से कर्ज़ ले रहे हैं, उन पर गबन का आरोप लगाया गया है? मेरे गले से बात नीचे नहीं उतर रही है। हम इतने दिनों से साथ साथ हैं, घूम फिर रहे हैं, और मात्र गिरफ्तारी के डर से हम यह रिश्ता तोड़ दें। नहीं, नहीं, हरगिज नहीं। मुझे पूरा पूरा विश्वास है, कि अंकलजी के ऊपर लगे सभी आरोप खारिज कर दिये जाएंगे। मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता, मैं आज भी तुमसे विवाह करने को तैयार हूँ। मैं एक बार हाँ करने के बाद अपनी दी गई जुबान से मुकरने वालों में से नहीं। लेकिन चंदर ने देखा था, यह बात सुनकर उसकी माँ का चेहरा निराशा से स्याह हो आया था। और थोड़ी ही देर में जिया और उसकी माँ को भरसक दिलासा देते हुए वे लौट आए थे।
भावी समधी की गिरफ्तारी की खबर ने चंदर के घर में भूचाल ला दिया था। उसके माता और पिता दोनों ही इस विवाह के खिलाफ हो गए थे। माँ कह रही थी, “
“अरे लड़की का बाप जेल में है, कितनी बदनामी होगी हम सबकी अगर एक सजायाफ्ता इंसान से तेरी शादी की हमने तो। नहीं, नहीं मैं नहीं करूंगी तेरी शादी जिया से, समाज में किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएंगे अगर हमने यह रिश्ता किया तो”।उधर चंदर के पिता भी माँ के सुर में सुर मिला कर बोल रहे थे।
“हाँ, हाँ, तेरे लिए लड़कियों की कमी नहीं है इस दुनिया में। इससे बेहतर लड़की ढूंढूगा तेरे लिए. नहीं नहीं, जानते बूझते तो मक्खी नहीं निगली जासकती न”।
“माँ पापा मुझे पूरा पूरा विश्वास है कि जिया के पापा निर्दोष हैं। अपने परिचय क्षेत्र में वे एक निहायत ही ईमानदार आफिसर के रूप में जाने जाते हैं। मैं आपको बता चुका हूँ, जब आपने उनसे कहा था कि आपको विवाह का प्रीतभोज पाँच सितारा होटल में चाहिए तो उन्होने आपसे कहा ही था, कि वे पाँच सितारा होटल का खर्च नहीं उठा पाएगे और वे किसी सामान्य होटल में ही पार्टी करेंगे। बताइये पापा यदि वे बेईमान होते तो वे क्यों विवाह कि व्यवस्था सामान्य होटल में रखने कि मांग रखते”?
फिर आप सोचिए, इस परिवार का स्तर अभी तक बिलकुल मध्यमवर्गीय है। अंकल अभी तक इतनी उम्र होने के बावजूद अपने पुराने, खटारा स्कूटर पर आफिस आते जाते हैं। घर में एक गाड़ी तक नहीं है। घर का रहन सहन भी नितांत साधारण है। आंटीजी को तो मैंने कितनी ही बार बस से सब्जी के भारी भारी थैले लेकर आते हुए देखा है। और जिया बता रही थी, अंकल ने कहा है वे जिया कि कमाई का एक भी पैसा उससे नहीं लेंगे। शादी का सारा खर्च वे अपने पैसों से करेंगे। अगर वे बेईमान और सिद्धान्तहीन होते, वह यह करते? नहीं नहीं, मैं उनके आफिस के लोगों से छानबीन कर पूरी बात की तह तक जाने का प्रयास करूंगा और सच्चाई आपसबके सामने लाकर रहूँगा।
अगले कुछ दिनों में चंदर ने जिया के पिता के कुछ घनिष्ठ मित्रों से यथार्थ का पता लगाने कि कोशिश की थी। और सभी का एक स्वर में मत था कि जिया के पिता को कुछ भ्रष्ट वरिष्ठ एवं मातहत सहकर्मियों ने षड्यंत्र रच कर उन्हे झूटे केस में फंसाया है क्योंकि वे न तो स्वयं रिश्वत लेते थे न ही किसी और को लेने देते थे। इतना सबकुछ होने पर भी, चंदर के मातापिता यह रिश्ता तोड़ कर चंदर का रिश्ता किसी और लड़की से करना चाहते थे। लेकिन चंदर इस बात पर अडिग था कि वह विवाह करेगा तो जिया से।
इस पूरे प्रकरण के दौरान चंदर ने जिया को भरपूर मानसिक और भावनात्मक संबल दिया था। और उसे आश्वासन दिया था कि वह हर हालत में उससे विवाह करेगा। घोर निराशा के उस समय में माता, पिता, भाई, बहनों के पुरजोर विरोध के बावजूद चंदर ने जिया का साथ न छोड़ा था और उससे विवाह कर साथ जीने मरने की कसमे दोहराईं थीं।
चंदर और जिया ने दिनरात भागदौड़ कर शहर के सबसे अच्छे वकील को पिता के केस को लड़ने के लिए नियुक्त किया था। नियत तिथि पर केस की सुनवाई थी जिसमें जिया के पिता किसी ठोस सबूत के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिये गए थे।
जिया और चंदर अत्यंत खुश थे। उनके मन की मुराद जो पूरी हो गई थी।
उस दिन जिया के पिता जेल से छूट कर घर वापिस आए थे। चंदर और जिया ने उनके रिहा होने कि खुशी में एक पार्टी रखी थी जिसमें उन्होने सभी रिशतेदारों और परिचितौं को आमंत्रित किया था। हंसी खुशी का माहौल था। सभी के सामने चंदर का हाथ अपने हाथों में लेते हुए जिया के पिता ने सब से कहा था, “ये चंदर है, जिसने घोर हताशा के क्षणों में जब मैं जेल में था, मेरी सच्चाई में विश्वास रखा, मेरे परिवार का मान रखा, और मेरी बेटी का हाथ मजबूती से थामे रखा। मेरी बाइज्जत रिहाई में उसका बहुत बड़ा योगदान है। आज मैं अपनी बेटी का हाथ उसके हाथ में देता हूँ। आशा है मेरी बेटी दामाद को आप सभी का आशीर्वाद मिलेगा।
चंदर और जिया साथ साथ बैठे थे। प्रसन्नमन चंदर जिया के असीम खुशी से दमकते चेहरे को देख कर सोच रहा था, “मैंने अपनी जिद्द से आखिर अपने चाँद को पा ही लिया। अब मुझे इससे कोई जुदा नहीं कर सकता। उधर जिया मन ही मन सोच रही थी, “न जाने कितने जन्मों के पुण्यों का फल मिला है मुझे कि चंदर जैसा अच्छा, अपनी जिद्द का पक्का इंसान मेरी जिंदगी में आया। और वह मन ही मन असीम खुशी से उमग मुस्कुरा उठी थी। चंदर के साथ आगत भविष्य के असंख्य सुनहरे सपने उसकी आँखों में झिलमिला उठे थे।
श्रीमति रेणु गुप्ता

Language: Hindi
639 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी शक्ति
नारी शक्ति
भरत कुमार सोलंकी
Ishq - e - Ludo with barcelona Girl
Ishq - e - Ludo with barcelona Girl
Rj Anand Prajapati
4410.*पूर्णिका*
4410.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*रेल हादसा*
*रेल हादसा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" मुरादें पूरी "
DrLakshman Jha Parimal
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
Ashwini sharma
प्रभु का प्राकट्य
प्रभु का प्राकट्य
Anamika Tiwari 'annpurna '
बेटियां अमृत की बूंद..........
बेटियां अमृत की बूंद..........
SATPAL CHAUHAN
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
Sangeeta Beniwal
*मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात (कुंडलिया)*
*मोती बनने में मजा, वरना क्या औकात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Santosh Shrivastava
पर्यावरण
पर्यावरण
Dinesh Kumar Gangwar
वेदना की संवेदना
वेदना की संवेदना
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
नमन!
नमन!
Shriyansh Gupta
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
ग़ज़ल _ तलाशो उन्हें बे-मकाँ और भी हैं ,
Neelofar Khan
आजकल की स्त्रियां
आजकल की स्त्रियां
Abhijeet
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
" क्यों "
Dr. Kishan tandon kranti
एक शकुन
एक शकुन
Swami Ganganiya
हासिल-ए-ज़िंदगी फ़क़त,
हासिल-ए-ज़िंदगी फ़क़त,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी देती है
ज़िंदगी देती है
Dr fauzia Naseem shad
हम बंधन में रहकर भी मुक्ति का आनंद उठा सकते हैं, बस हमें परि
हम बंधन में रहकर भी मुक्ति का आनंद उठा सकते हैं, बस हमें परि
Ravikesh Jha
यार
यार
अखिलेश 'अखिल'
जब इंस्पेक्टर ने प्रेमचंद से कहा- तुम बड़े मग़रूर हो..
जब इंस्पेक्टर ने प्रेमचंद से कहा- तुम बड़े मग़रूर हो..
Shubham Pandey (S P)
The darkness engulfed the night.
The darkness engulfed the night.
Manisha Manjari
दिखने वाली चीजें
दिखने वाली चीजें
Ragini Kumari
हम
हम
Adha Deshwal
🙅क्षमा करें🙅
🙅क्षमा करें🙅
*प्रणय*
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
बता तूं उसे क्यों बदनाम किया जाए
Keshav kishor Kumar
अनजान राहों का सफर
अनजान राहों का सफर
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
Loading...