जिद्दी परिंदा ‘फौजी’
जिद्दी परिंदा ‘फौजी’
अनभिज्ञ नहीं था, आगे खाई है,
फिर भी, जिद्दी परिंदा कूद पड़ा,
नासमझ वही नहीं था,
अदम्य, साहसी, फौजियों का वह तो झुंड था।
देश के लिए मर मिटने का जुनून सवार था,
युद्ध में लहू बहाने का पाला एक जज्बा था।
अनूठा व्यक्तित्व भला और कहां मिलता,
मेरे देश की मिट्टी ने इसे जन्मा था।।
सीमा टेलर ‘तू है ना’ (छिम़पीयान लम्बोर)