जिद्दी दुश्मन
कीजिये बेशुमार मुलाकातें ,
और मिलाते रहिये हाथों में हाथ.
आप सच्चे और पाक साफ़ हैं,
मगर उनकी नियत नहीं साफ़ तो क्या कीजिये गा. ?
अमन और चैन की ज़रूरत जितनी हमें है उन्हें भो तो हो ,
वोह ना आये अपनी चालों से बाज ,
तो क्या कर लीजिएगा ? .
ऐसे जिद्दी दुश्मन को सबक सिखाने के लिए ,
क्या संगीन नहीं उठाइएगा ?.