जिदंगी अपनी
आज दुश्मन है जिदंगी अपनी
खुशी ज्यादा कहां रही अपनी
जरूरतो के सफर मे रहा हमेशा
कट गई यूं ही जिंदगी अपनी
भूल जाता हूँ सभी उदासियों को
यादे हो साथ दोस्ती की अपनी
टूक टूक करके जिदंगी खत्म हुई
रह गई बस केवल यादे अपनी
उसकी आवाज सुनी तो खुशी मिली
लगा सदियो की प्यास मिटी अपनी
सुनने वालो को होती है जलन
ऐसी ही है ये जीवनी अपनी