जितनी भी कर दूं तारीफ।
जितनी भी कर दूं तारीफ उतनी कम होगी।
तुझको पढ़कर हमको इश्क़ ए दानम होगी।।1।।
यूँ तो फासलें बड़े है हमारे दिलो के दरम्यां।
मिलते रहो हमसे यूँ ही ये दूरियाँ कम होगी।।2।।
वह जाहिर नहीं है करता यूँ अपनी दिक्कते।
जाकर के देखो उसकी नज़रें पुर-नम होगी।।3।।
क्यो काटते हो हर रात यूँ ऐसे जागकर तुम।
उसने बताया था मिलने की शब पूनम होगी।।4।।
चलों करलें अक़ीदा हम तुम एक दूसरे पर।
दिलों में हमारे मोहब्बत ना फिर कम होगी।।5।।
जला फिर आज घर दंगें में किसी गरीब का।
गिरी आग बनकर के कोई बून्द शबनम होगी।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ