Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2023 · 2 min read

जिज्ञासा और प्रयोग

जिज्ञासा और प्रयोग –

कानपुर ओमर वैश्य इंटर कॉलेज के प्राचार्य केदार नाथ बाजपेई छात्रों के प्रिय प्राचार्य थे।

कानपुर का प्रतिष्ठित कालेज जुलाई अगस्त का महीना विदयालय में इंटरवल हुआ था बच्चो को लोको मोटिव इंजन से सम्बंधित विषयगत अध्याय पढ़ाया गया था ।

इंटरवल में विद्यालय के सामने कुछ दूरी पर लोकोमोटिव संटिंग इंजन खड़ा देखकर छात्रों के मन मे इंजन चला कर पढ़े गए विषय के प्रयोग की जिज्ञासा जागी ।

कुछ ही देर में कुछ विद्यार्थियों ने हिम्मत जुटाई कॉलेज परिसर से बाहर आये और रेल लाइन पर खड़े शंटिंग इंजन पर सवार हो गए इंजन के ड्रावर कुछ दूरी पर ही खड़े थे उनकी समझ मे कोई बात आये उससे पहले बच्चों ने इंजन को स्टार्ट कर दिया इंजन चलने लगा ।

ना ही कंट्रोलर को इस बात का इल्म था ना ही कानपुर सेंट्रल स्टेशन के स्टेशन मास्टर को कोई भनक थी सिग्नल भी नही था मगर इंजन चलता ही जा रहा था उधर इंजन के ड्राइवर ने स्टेशन मास्टर को इस खबर की सूचना दी ।

स्टेशन मास्टर की स्थिति सांप छछुंदर की हो गयी क्या करे ?
क्या न करे ?
उसकि समझ मे कुछ नही आ रहा था उसने कंट्रोलर को सूचना दी और इंजन के समानांतर इंजन चालक विशेषज्ञ दल द्वारा इंजन रोकने के निर्देश जोर जोर आवाज से इंजन चला रहे छात्रों को दिया जा रहा था छात्रों को ना इंजन चलाना आता था ना ही बंद करना या ब्रेक लगाना छात्रों के इधर उधर करने से इंजन चलने लगा था ।

अब रुकने का नाम ही नही ले रहा था बहुत प्रयास करने एव समानांतर चल रहे विशेषज्ञ चालक दल के प्रायास से इंजन रुका तब तक पूरे रेल मोहकमे में हड़कम्प मच चुकी थी छात्रों को हिरासत में ले लिया गया और प्राचार्य केदार नाथ बाजपेयी जी को तलब कर बच्चों पर उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही करने को निर्देशित किया गया।

केदार नाथ बाजपेयी शिक्षा जगत के नामचीन हस्तियों में एक थे उन्होंने तुरंत ही प्रदेश के राज्यपाल महोदय से बात कर बच्चों के कृत्य पर खेद व्यक्त करते हुए बच्चों को माफ करने की अपील की ।

राज्यपाल महोदय ने प्राचार्य जी से सहमति जताई और छात्रों को हिदायत के साथ माफ कर दिया ।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखुर उत्तर प्रदेश।।

Language: Hindi
224 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
3574.💐 *पूर्णिका* 💐
3574.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ज़िंदगी में गीत खुशियों के ही गाना दोस्तो
ज़िंदगी में गीत खुशियों के ही गाना दोस्तो
Dr. Alpana Suhasini
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
Kumar lalit
*भिन्नात्मक उत्कर्ष*
*भिन्नात्मक उत्कर्ष*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
माँ बाप खजाना जीवन का
माँ बाप खजाना जीवन का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
"नया दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार के बारे में क्या?
प्यार के बारे में क्या?
Otteri Selvakumar
Destiny
Destiny
Chaahat
जला रहा हूँ ख़ुद को
जला रहा हूँ ख़ुद को
Akash Yadav
Passion for life
Passion for life
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
World Dance Day
World Dance Day
Tushar Jagawat
दोहा सप्तक. . . . . दौलत
दोहा सप्तक. . . . . दौलत
sushil sarna
आदमी बेकार होता जा रहा है
आदमी बेकार होता जा रहा है
हरवंश हृदय
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
Phool gufran
#क़तआ (मुक्तक)
#क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय प्रभात*
वक़्त का समय
वक़्त का समय
भरत कुमार सोलंकी
राम जपन क्यों छोड़ दिया
राम जपन क्यों छोड़ दिया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
*घूम रहे जो रिश्वत लेकर, अपना काम कराने को (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
भर चुका मैल मन में बहुत
भर चुका मैल मन में बहुत
पूर्वार्थ
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
Dr fauzia Naseem shad
नवगीत : मौन
नवगीत : मौन
Sushila joshi
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
ग़ज़ल _ गुज़र गया वो ख्वाब था , निखर गया वो हाल था ,
ग़ज़ल _ गुज़र गया वो ख्वाब था , निखर गया वो हाल था ,
Neelofar Khan
16. आग
16. आग
Rajeev Dutta
मित्रता तुम्हारी हमें ,
मित्रता तुम्हारी हमें ,
Yogendra Chaturwedi
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
शेखर सिंह
मैं जानता हूं नफरतों का आलम क्या होगा
मैं जानता हूं नफरतों का आलम क्या होगा
VINOD CHAUHAN
मार मुदई के रे
मार मुदई के रे
जय लगन कुमार हैप्पी
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
Sanjay ' शून्य'
Loading...