जागकर बीताई हर रात पूछेगा
जागकर बीताई हर रात पूछेंगे
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जब मिल कर साथ साथ बैठेंगे
बहुत बाते शेष साथ साथ करेंगे
बहुत कुछ बाते अपनी सुनाएंगे
कैस गुजारे दिनरैन हम बताएंगे
दिल में तुम्हारे जो है सब पूछेंगे
कैसे रही मेरे बिन वो सब पूछेंगे
भीगी आँखों से खूब बाते करेंगे
गम में जो रोई थी हिसाब पूछेगे
चूड़ियों को तोड़ के प्यार देखेंगे
संवाद कर दिल का हाल पूछेंगे
दिल से निकली हर आह पूछेंगे
दिल में छिपाई है वो चाह पूछेंगे
जुदाई में तन्हाई की तान पूछेंगे
क्यों थी परेशां हम जान पूछेंगे
सुखविन्द्र दिल की बात पूछेंगे
जागकर बीताई हर रात पूछेंगे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (केथल)