*जिंदा हो तो जिंदापन का अहसास जरूरी है*
जिंदा हो तो जिंदापन का अहसास जरूरी है
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जिंदा हो तो जिंदापन का अहसास जरूरी है।
कभी न कभी होना अपनों के पास जरूरी है।
काटे नहीं कटते दिन रात होता नहीं कोई पास,
खुद के गिरेबान में देखना कौन खास जरूरी है।
ढूंढों कोई साथ बन जाए बात देखो आस पास,
खाली वक्त को बिताने खेलना ताश जरूरी है।
हो खुदा ए मददगार पर बनना होगा हमें सरदार,
कुछ पाने के लिए करते रहना प्रयास जरूरी है।
मिट्टी को मिट्टी ही खड़ा करती आई है मनसीरत,
मिट्टी है मिट्टी में मिट्टी हो करना प्रयास जरूरी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)