जिंदा यादें सदा रहती है
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काफिया -दें रदीफ़-हैं
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**** जिंदा यादें सदा रहती है ****
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जिंदा यादें सदा से ही रहती हैं,
मीठी बातें सदा मन में ही बहती है।
जब कोई जान से ज्यादा प्यारा हो,
प्रीतम की याद में नज्मे सुनती हैं।
साथी बिन ना पड़े जीना मरना भी,
चाहत भी क्या कभी देखी मरती है।
दे जाती नींद में भी दस्तक उसकी,
दिल अंदर प्यार की घंटी बजती है।
मनसीरत को लगी प्यारी बीमारी,
दिल मे तस्वीर दीवानी बसती है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)