*जिंदा फिर अरमान करो*
जिंदा फिर अरमान करो
मोल अमोलक जीवन है ये, जीवन पर अभिमान करो।
जिंदा रहना है तो बन्दे, जिंदा फिर अरमान करो।।
अपने अंदर की ताकत को, तपा तपा फौलाद करो।
धीर वीर गंभीर शिखर की, चट्टानी बुनियाद करो।।
कदम कदम से ताल मिलाकर, हरदम तुम बढ़ते जाओ।
आसमान सी ऊंची ऊंची, मंजिल तक चढ़ते जाओ।।
संकल्पों में साहस भरकर, कर्मों का सम्मान करो।।
जिंदा रहना है तो बन्दे, जिंदा फिर अरमान करो।।
जीवन अपना ऎसा होना, भूमण्डल जयकार करे।
जगती तेरी परम् चरम सी, हस्ती को स्वीकार करे।।
अविरत अथक प्रयासों के बल, पर मंजिल अपनी पा लो।
तूफानों से आंख लड़ा लो, कश्ती साहिल पर ला लो।
जले मशालें बने मिसालें, गर्वित स्वाभिमान करो।।
जिंदा रहना है तो बन्दे, जिंदा फिर अरमान करो।।
कठिन डगर पर डिग मत जाना, पांव न बोझिल हो जाये।।
सदा सजग प्रहरी बन जाना, लक्ष्य न ओझल हो पाए।
सतत साधना मंथन चिंतन, कर्मठतामय जीवन हो।
ध्यान धारणा धरकर राही, तन मन जैसे चंदन हो।
परम् चरम पाने के खातिर, लक्ष्य कठिन संधान करो।।
जिंदा रहना है तो बन्दे, जिंदा फिर अरमान करो।।
सहज सरल शालीन सौम्यता, सजल भावना निर्मल हो।
कणकण कुंदन कंचन काया, बहती सरिता अविरल हो।।
हिम्मत अरु ताकत से अपनी, कोशिश तुम पुरजोर करो।
मन की कमजोरी से लड़कर, डर को ही कमजोर करो।।
अपने ऊपर लागू करने, जारी इक फरमान करो।।
जिंदा रहना है तो बन्दे, जिंदा फिर अरमान करो।।
स्वार्थ साधना भीतर हो तो, उस पर प्रखर प्रहार करो।
समरसता भाईचारे के, भावों का संचार करो।।
मिलजुलकर के रहना सीखो, इक दूजे का साथ करो।
झूम झूमकर नाचों गाओ, खुशियों की बरसात करो।।
परम् पताका फहरे जग में, अविजित हिंदुस्तान करो।।
जिंदा रहना है तो बन्दे, जिंदा फिर अरमान करो।।