जिंदगी
आहिस्ता चल ऐ जिंदगी
कई कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है
कुछ फर्ज़ निभाना बाकी है ।।
रफ्तार में तेरे चलने से
कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
रूठों को मनाना बाकी है
रोतों को हसाना बाकी है ।।
कुछ रिश्ते बनकर टूट गए
कुछ जुड़ते जुड़ते टूट गए
उन टूटे–छूटे रिश्तो के
जख्मों को मिटाना बाकी है ।।
हसरतें अभी अधूरी है
कुछ काम अभी भी जरूरी है
जीवन की उलझी पहेली को
पूरा सुलझाना बाकी है ।।
जब सांसो को थम जाना है
फिर क्या खोना और क्या पाना है
पर मन के जिद्दी बच्चे को
कुछ बात बताना बाकी है ।।
आहिस्ता चल ए जिंदगी
कई कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है
कुछ फर्ज निभाना बाकी है ।।
®अभिषेक पाण्डेय अभि
☎️7071745415