जिंदगी
क्या कहना……
कि इसमें हमने ना जाने कितने लम्हे गुजारे हैं
जो लफ्जों में ना कर सकें बयां
कुछ ऐसे पल भी आए हैं
कुछ बाजी जीती हमने
तो कुछ खेल हम भी हारे हैं,
इस जिंदगी का क्या कहना
कि इसमें हमने ना जाने कितने लम्हे गुजारे हैं।
क्या कहना……
कि इसमें हमने ना जाने कितने लम्हे गुजारे हैं
जो लफ्जों में ना कर सकें बयां
कुछ ऐसे पल भी आए हैं
कुछ बाजी जीती हमने
तो कुछ खेल हम भी हारे हैं,
इस जिंदगी का क्या कहना
कि इसमें हमने ना जाने कितने लम्हे गुजारे हैं।