जिंदगी
चल रही थी जिंदगी धड़धड़ाते हुए ,
अब चल रही है जिंदगी लड़खड़ाते हुए ।
बीत रही थी जिंदगी खिलखिलाते हुए ,
अब बिता रहे हैं जिंदगी बिलबिलाते हुए ।
मिलती थी जिंदगियाँ मुस्कुराते हुए ,
अब मिलती हैं जिंदगियाँ मुँह छुपाते हुए ।
मचलती थी जिंदगी इठलाते हुए ,
अब अचल सी है जिंदगी शरमाते हुए ।
टीकाकरण है जिंदगी ओम् लगाते हुए ,
अब सुरक्षित है जिंदगी खुराक दो लेते हुए ।
फिर भी मास्क लगाए , रखें दो गज की दूरी ,
जिंदगी की सुरक्षा के लिए हाथ धोना जरूरी ।।
ओमप्रकाश भारती ओम्