जिंदगी
जिंदगी
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सुनो ऐ जिंदगी के मुसाफिर ,
निकले हो सफर पर तो
थोड़ा हमें भी सुनते जाना ।
देखा है हमने भी
जिंदगी को बहुत ही करीब से ।
जिनकी उंगली पकड़ कर,
तुमने चलना सीखा
उनके कांपते हाथों को,
स्नेह से थाम लेना ।
जो तुम्हारी तोतली बातों को ,
बिन समझाये समझते आये
उनकी ख़ामोशियों को समझ जाना।
वो जो छोड़ आयी तुम्हारे लिए,
अपने घर गलियां चौबारे को
उसके हर पल को प्यार से संवारना।
और,हां जो कभी अंधेरे से जो लगे रास्ते,
तो,टूटती उम्मीदों मे खुद को भी संभाल लेना।
जो बसाओगे दिल में ,
सभी के जुड़े ज़ज्बात
सच कहती हूँ दोस्त ,
हर गुजरते लम्हों में
जिंदगी साथ मुस्कुरायेगी।
पल्लवी रानी
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र