जिंदगी
मुसाफिर हूँ जिंदगी का और ठिकाना भी यहीं है
फ़लसफ़ा जिंदगी में अपना और बेगाना भी यहीं है
दिल और दिमाग का कैसा ये संगम है जिंदगी में
रोना भी है और साथ में मुस्कुराना भी यहीं है
ख्वाहिशों के समंदर में कितना खोना और पाना है
जितना ऊपर जाना है उतना नीचे आना भी यहीं है
जिंदगी के आशियानें में कब तक कोई सदा रहता
कभी बेबस जीना भी है और मरजाना भी यहीं हैं
हर आँसू में छिपा गम नहीं ना हर हँसी खुशी होती
जैसी हो जिंदगी जीना भी है और हँसाना भी यहीं है
Mamta Rani