जिंदगी
ग़ज़ल
ग़ज़ल——–
मापनी:2222 1221 2212=21
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मुझको तुझसे, न कोई, गिला ज़िन्दगी।
मैने जैसा, दिया है, मिला ज़िन्दगी।
सारा जीवन, जिया है,महज़ माँगते,
जिसके हिस्से लिखा,जो दिला ज़िन्दगी।
है ए धरती, सभी का, ठिकाना यहाँ,
घर सभी का बचे,मत हिला ज़िन्दगी।
उम्र भर,हार मिलना,ही किस्मत रही’,
चल अब उठ,हर सुमन,तू खिला ज़िन्दगी।
हमने जिसको, दिया है, खुशी जन्म से,
छोड़ा उसने दिया, यह शिला जिन्दगी।
हमने सबको ‘सहज’,माफ है कर दिया,
भर दे हर ज़ख़्म,औषथि पिला, ज़िन्दगी।
@डा०रघुनाथ मिश्र