जिंदगी
ये मासूमियत यूं ही ढल रही हैं,
जिंदगी में तन्हाई यूं खल रही हैं,
हों अगर कोई हमें चाहने वाला,
तो आ जाओं रूह जल रही हैं।।
रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां, राजसमन्द
ये मासूमियत यूं ही ढल रही हैं,
जिंदगी में तन्हाई यूं खल रही हैं,
हों अगर कोई हमें चाहने वाला,
तो आ जाओं रूह जल रही हैं।।
रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां, राजसमन्द