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31 May 2024 · 1 min read

जिंदगी

मैं जी रही हूँ जिंदगी
जो ख्वाबों में देखी थी
जिसमे महकना भी शामिल
तो महकाना भी है
चमक से दूसरों की
चौंधियाना भी जरूरी
बेबाक बोलकर
दूसरों की चुप करवाना भी
अपनी ‘मैं ‘ में खो जाना
जो बड़ी मशकत से कमाई है
जिसे देख लोगों में
मेरे लिए नफरत नज़र आई है
जो फुस -फुसाकर कानो से मेरे पास आई है
करारे जवाब से मैंने उसे डराया है
और मेरी चमक की चिंगारी ने
उनके घर को भी सुलगाया है
मैं जी रही हूँ वो जिंदगी
जो बचपन में देखी थी ख्वाबों में !

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