जिंदगी
मैं जी रही हूँ जिंदगी
जो ख्वाबों में देखी थी
जिसमे महकना भी शामिल
तो महकाना भी है
चमक से दूसरों की
चौंधियाना भी जरूरी
बेबाक बोलकर
दूसरों की चुप करवाना भी
अपनी ‘मैं ‘ में खो जाना
जो बड़ी मशकत से कमाई है
जिसे देख लोगों में
मेरे लिए नफरत नज़र आई है
जो फुस -फुसाकर कानो से मेरे पास आई है
करारे जवाब से मैंने उसे डराया है
और मेरी चमक की चिंगारी ने
उनके घर को भी सुलगाया है
मैं जी रही हूँ वो जिंदगी
जो बचपन में देखी थी ख्वाबों में !