जिंदगी
जिंदगी है कोई मांगा हुआ अख़बार नहीं ।
जाइये और कहीं यहां कोई खरीददार नहीं ।
राह है कांटों भरी चलना बहुत मुश्किल है यहां।
साथ चलने को मेरे कोई भी तैयार नहीं।
और इंतिहा देते देते उम्र बीत गई इतनी ।
फिर भी नाकामियों को कोई मददगार नहीं ।
और बेच दिया देते हैं यहां ईमान चंद सिक्कों की तरह
जाइये साहिब कहीं यहां आपका कोई खरीददार नहीं।।
phool gufran