जिंदगी
एक ही
तो जिंदगी है
एक ही तो जिंदगी है मेरी
इसे भी दूसरो की शर्तो पर जी लूं क्या
दूसरो के पद चिन्हों पर चल लूं क्या
दूसरो की बातों तक सिमट जाऊं क्या
खोल के पर अब आसमां में उड़ना है मुझे
अपने चांद से खुद बातें करना मुझे
मेरे कदमों के निशां दुनिया देखेंगी जनाब
ऐसे क़िरदार अब बनना है मुझे
नहीं भागना किसी रेस में मुझे
कोई हार या जीत क्या फैसला करेंगी
ये मेरी जिंदगी है जनाबे हुजूर
यहां किसी की भी नहीं चलेगी
हमनें तो खुश होने का सऊर सीख लिया
तुम रुला सकते हो तो रुला लो मुझे
यहां राज्य है मेरा,मेरी ही सत्ता हैं यारों
यहां तुम्हारी दाल बिल्कुल नहीं गलेगी
बड़ी मशक्कत से जिंदगी के पाठ सीखे
बड़ी ठौकरें खाई तब संभलना सीखे
अब ख़ुश रहना आदत में आ गया मेरी
ये आदत अब ताउम्र मेरे साथ ही रहेंगी
ये मेरी जिंदगी है, बस मेरी ही रहेगी…
दीपाली अमित कालरा