जिंदगी
साज छेड़ो जिंदगी की सरगम पर
उदासियाँ सभी दूर हो जाएंगी
स्याही पन्नों की अब सूखने लगी
किताब पढ़ने के लायक हो जाएगी
कुछ पन्ने लिखो खुशियों से भरे
कुछ पर रंजोगम भी लिख दिया करो
कुछ पन्नों पर है स्वर लहरियां
कुछ पर खामोशी भी लिख दिया करो
जब किताब के पन्ने फ़ड़फड़ाएंगे
फिजा भी खुशबू से महक जाएगी
स्याही पन्नो की अब सूखने लगी
किताब पढ़ने के लायक हो जाएगी
बिना ज़िल्द की है किताब जिंदगी
पन्ने इधर से उधर मत तुम किया करो
जो जहां है उसे तुम वैसा ही रहने दो
अपने धागे से उसको न तुम सिया करो
उसने जो लिख दिये पन्ने अपने हाथ से
एक दिन ये जिंदगी भी चहक जाएगी
स्याही पन्नो की अब सूखने लगी
किताब पढ़ने के लायक हो जाएगी
साज छेड़ो जिंदगी की सरगम पर
उदासियाँ सभी दूर हो जाएंगी
स्याही पन्नों की अब सूखने लगी
किताब पढ़ने के लायक हो जाएगी