ज़िन्दगी ख़्वाब है
ब्रह्माण्ड के इस अनंत समुद्र में,
एक बूंद की भाँति हैं हम।
अपने निरर्थक किस्सों में खोए,
खुद में ही हो जाते हैं भस्म।
काल्पनिक लक्ष्यों की लालसा में,
एक आनंदमय भविष्य में जीते हैं हम।
सांसारिक रिवाज़ों में उलझे हुए,
निभाना भूल जाते हैं कर्मों के रस्म।
– सिद्धांत शर्मा