जिंदगी है बहुत अनमोल
जिंदगी है बहुत अनमोल, करें बर्बाद क्यों इसको।
निराशा- हताशा भरकै, करें गुमनाम क्यों इसको।।
जिंदगी है बहुत अनमोल ————————।।
हसीन मुखड़ों की महफ़िल में, रोशनी नहीं है असली।
सिर्फ पलभर की मस्ती में, करें गुमराह क्यों इसको।।
जिंदगी है बहुत अनमोल ————————।।
बहुत बेरहम दिल की है, इठलाती रंगीन कलियाँ।
इनको बाँहों में भरकर, करें बदनाम क्यों इसको।।
जिंदगी है बहुत अनमोल ————————।।
सफर में हो चाहे तन्हा, लेकिन सफर हो नेकी का।
मुश्किलें भी हार जाती है, करें उदास क्यों इसको।।
जिंदगी है बहुत अनमोल ————————।।
जिंदगी है अगर जिन्दा, ख्वाब भी जिन्दा होंगे।
एक ख्वाब टूट जाने से, करें बेजान क्यों इसको।।
जिंदगी है बहुत अनमोल ————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)