जिंदगी ही तो है
जो मिला है,
हंस कर सह लेंगे
जिंदगी ही तो है
फिर से जी लेंगे
कोरोना ने जिंदगी को
कबाड़ बना दिया
इसी कबाड़ से
शानदार महल बना लेंगे
दूध फट रहा है
मातम मना रहे है
कुछ नया सीख कर
फटे दूध का पनीर बना लेंगे
जिंदगी ही तो है
फिर से जी लेंगे….
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
विश्वरीकोर्ड कवि, मुम्बई