जिंदगी हर रात……..
महामारी के इस भयानक दौर में जिंदगी का मौत के संग जंग जारी है…..इसी संदर्भ में प्रस्तुत है एक ग़ज़ल-
जिंदगी हर रात…..
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जिंदगी हर रात क्यों जगने लगी है।
मौत से अब जिंदगी ठगने लगी है।
जिंदगी का मौत के संग जंग जारी,
शहर में अब बंदिशे लगने लगी है,
है ज़ियादा खार से गुल का सितम,
चमन में कैसी नसल उगने लगी है।
कल तलक जो शख़्स मेंरे साथ में थे,
तस्वीर उनकी चौक पर टंगने लगी है।
“दीप” साँसों को तरसता आदमी अब,
जिंदगी क्यों मौत सी लगने लगी है।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव