जिंदगी हम तुझे जीने निकले
ग़ज़ल
जिंदगी हम तुझे जीने निकले।
लोग कहते हैं कि पीने निकले।।
हो गया फिर से लहू से ही तर।
जख़्मे दिल अपना जो सीने निकले।।
ली छुपा हमने अँगूठी ही जब।
उनकी उंगली में नगीने निकले।।
खोद कर देखी ज़मीं जब दिल की।
कितनी यादों के दफ़ीने निकले।।
अपनी कश्ती ही फ़क़त ग़र्क हुई ।
वैसे कितने ही सफ़ीने निकले।।
हमने तो ज़ब्त किया दर्दे दिल।
और लोगों को पसीने निकले।।
जैसे हैं दोस्त “अनीस” अपने हैं।
क्या हुआ गर वो कमीने निकले।।
– अनीस शाह “अनीस”