जिंदगी से मुलाकात – भाग २
वो बड़े ही आध्यात्मिक व्यक्ति है और किसी को दुखी नहीं करना चाहते जीवन में। उन्होंने आगे बताया की जीवन में ख़ुशी तब भी आती है जब आपके पुराने दोस्त मिले या फिर उनसे बातें हो। उन्होंने बताया की कुछ दोस्त तो विदेश में रहने लगे कुछ गाँव में तो कुछ शहर में। लेकिन कोशिश करते है की महीने में एक बार मिला जाए और जो न मिल पाए उन्हें वीडियो कॉल से जोड़ लेते है और फिर वो कॉलेज वाली बातें करते है। बिना किसी वजह के एक दूसरे की टांग खींचने वाली बाते करते है और बहुत हस्ते है। दोस्तों के साथ बिताया हुआ समय याद करते है और उसी समय की बातें करते है।
मेरा पहला सवाल था की आपको ये नहीं लगता की ये सारी बातें जो जिंदगी को लेकर अब समझ में आया आपको वो पहले आ जाना चाहिए था। तो उन्होंने कहा अगर मै ये सोचूंगा तो खुद को पछतावा करने के लिए मजबूर कर दूंगा। इसीलिए मै किसी भी बात पर पछताता नहीं हूँ। यह मानकर आगे बढ़ता चला जाता हूँ की ये भी जरुरी था जो हुआ ताकि इन सभी से जीवन में कुछ सीखने को तो मिला। पछताने की जगह उसमे मै सीख खोज लेता हु और आगे बढ़ता हू।
मेरा दूसरा सवाल की मै जिस उम्र में हूँ मुझे लगता है मुझे बहुत सारे पैसे कमाना है अभी और पूरा ध्यान मै पैसे कमाने पर लगे । क्या ऐसा सोचना मेरा गलत है ? उनका जवाब था बिलकुल गलत नहीं है लेकिन सिर्फ पैसा कमाना होगा तो तुम्हारा एक न एक दिन इससे मन भर जायेगा। खुद को एक मशीन की तरह समझने लगोगे जो रोजाना वही कर रहा है क्युकी पैसे उसी काम से मिलेंगे तो एक दिन आएगा की खुद लगेगा की ठीक है पैसे तो जरुरी है लेकिन सेहत भी जरुरी है कोई कला होना भी जरुरी है कुछ सौक भी होने जरुरी है और दुसरो के लिए कुछ करने का जूनून भी होना चाहिए। समाज से हमें इतना मिला है बदले में समाज के लिए कुछ करने की सोच भी जरुरी है।