जिंदगी से मुलाकात – भाग १
आज मै एक इंसान से हुयी मुलाकात के बारे में साझा करने जा रहा हूँ। वह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट ( CA ) है और 20 वर्ष से भी ज्यादा काम करने का अनुभव है। अभी उनकी उम्र 50 वर्ष है। मेरी उनसे मुलाकात काम के सिलसिले से ही हुयी थी लेकिन उनसे मुझे जिंदगी के बारे में बहुत सारे ऐसे अनसुलझे सवाल के जवाब भी मिले और उन्होंने बहुत ही शांतिपूर्वक मेरी सभी बातों को सुना और मुझे समझाया भी।
उन्होंने सबसे पहले एक अपने जीवन की ऐसी घटना के बारे में बताया जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया की ये जिंदगी ऐसी क्यों है। उन्होंने बताया की उनके पिताजी हमेशा उनसे बोला करते थे की जब मै अपनी नौकरी से सेवा निर्वित हो जाऊँगा तब तुम्हारे कार्यालय में आकर बैठा करूँगा और देखूंगा तुम काम कैसे करते हो। तुम्हारे कार्यालय में काम करने वाले सभी व्यक्ति से मिला करूँगा। कभी तुम्हारी बहन के यहाँ चला जाया करूँगा। मस्ती में जिंदगी जीऊंगा। दुर्भाग्यवश सेवा निर्वित होने से कुछ साल पहले ही उन्हें बहुत भयंकर बीमारी कैंसर हो जाती है है उनका देहांत हो जाता है। इस घटना ने उन्हें तोड़ के रख दिया और उस समय उनकी उम्र 45 वर्ष थी। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था और उनकी पिताजी की एक एक बात उनके दिमाग में चलती रहती थी। उनका जीना बहुत मुश्किल हो गया था। उन्होंने अपना इलाज भी कराया और हर वो तरीका अपनाया जिससे हो ठीक हो सके। बहुत बेचैन रहने लगे थे। उनको लगने लग गया था की मैंने भी तो जीवन में सिर्फ पैसे कमाने पर ध्यान दिया है। अपने लिए कब जिया या फिर जो खुद को पसंद है वो चीजे तो की नहीं जीवन के इतने साल बीत गए।
फिर उनकी मुलाकात उनके एक ऐसे साथी से होती है जो उनके साथ विश्वविद्यालय में साथ पढ़ते थे। उनके दोस्त ने उनसे कहा तुम एक सूचि तैयार करो की कौन सी ऐसी चीजे थी जो तुम्हे बहुत पसंद थी और फिर उसमे से वो चीजे करनी शुरू कर दो जो तुम अकेले भी कर सकते हो। जिसमे तुम्हे किसी साथी की जरुरत न पड़े। जब मन चाहे तब वो तुम कर सको। तब जाकर उन्होंने कुछ ऐसी चीजों की सूचि तैयार की जिसे वो पिछले 5 साल से कर रहे है और वो बहुत अच्छा महसूस कर रहे है ऐसा लगता है जिंदगी फिर से 30 साल पहले वाली हो गयी है।
उनकी सूचि में साइकिल चलना , दौड़ना , फोटोग्राफी करना और यात्रा करना था जिसे वो अब दिल से करते है। मैंने लगभग 2 घंटे तक सिर्फ उनकी तस्वीरों को ही देखता रहा जिसे उन्होंने बड़े ही अच्छे तरीके से खींची थी। सप्ताह के हर शनिवार और रविवार को वो 50 से 60 किलोमीटर तक साइकिल चला लेते है। रोजाना सुबह में 8 किलोमीटर की दौड़ लगाते है। जब मन करता है अपने काम से छुट्टी लेकर कहीं यात्रा पर निकल जाते है और फोटग्राफी करते है। दौड़ने का इतना शौक है अब उन्हें की वो मैराथन में भी भाग लेते है। अब वो बहुत ही ज्यादा खुश रहते है और जिंदगी के हर पल को खुल कर जीते है।
आगे की बाते अगले लेख में साझा करूँगा।