जिंदगी से बेजार
वो जिंदगी से इस कदर बेजार हो गए ,
हम पुकारते रहे उन्होंने सुना ही नहीं।
सब ख्वाबों के रंग धरे के धरे रह गए ,
जिन्होंने उन्हें बुना ही नहीं।
वो जिंदगी से इस कदर बेजार हो गए ,
हम पुकारते रहे उन्होंने सुना ही नहीं।
सब ख्वाबों के रंग धरे के धरे रह गए ,
जिन्होंने उन्हें बुना ही नहीं।