*जिंदगी से प्यारा है*
गुरु का भजन करना ,हमें जिंदगी से प्यारा है।
भूल कैसे जाऊं जिसने,ये जीवन सँवारा है ।।
बालक में अबोध था ,जब धरती पे आया ।
रहना है किस विधि यहां ,ये उन्ही ने सिखाया।।
विसर्जन करना उनका यह , हमें ना गवारा है।
भूल————————————————-।१।
जानता था इतना मैं वस ,किलकारियां ही भरना।
और परछाइयों से ही ,अपने आंगना में डरना ।।
पकड़ के ऊँगली अपनी , आगे बढ़ना सिखाया।
पंकिलता में भी था एक, एक पथ दिखलाया ।।
है ना वही गुरु जी हमें ,अपने प्रानों से प्यारा है।।
भूल ————————————————-।२।
यों तो माना उन्होंने , हमें अपना प्यारा गहना ।
बताया उन्हीं ने हमें , ‘ह’ से ‘ हाथ’ कहना ।।
भले और बुरे का अंतर भी, उन्हीं ने बताया।
अर्थ आग पानी का भी, था उन्हीं ने बताया ।।
सुलझी अनसुलझियों का,भेद खोला सारा है।।
भूल————————————————–।३।
पायी हैं मंजिल हमने , उनका कृपा है उनकी ।
काम आज आयीं हैं ,हमको सीखें सब उनकी।।
दुनिया का चलनो चालन,हमें है उन्हीं ने बताया।
अँधेरे को दीपक देना , है उन्हीं ने दिखाया ।।
उनकी वरदानों से अपनी ,आज हुयी पौवाराः है ।
भूल ————————————————-।४।
चाहता हूँ हो के नत मैं , सिर पे बिठा लूँ ।
ग्यान अनोखे सब ,मैं बहु विधि पा लूँ ।।
हूँ मैं अधूरा , पर ग्यान गुथियाँ अधिक हैं ।
आशाएं चढ़ती मेरी ,बहुत ही विधिक हैं ।।
कब रुक जाए नैय्या, यह बहती हुई धारा है।।
भूल————————————————–।५।