जिंदगी, सुकून और दर्द
है सुकून कहा ,है दर्द जहा
ये गम की खुशी मे, हमदर्द कहा।
अन्तर की ज्वाला से जलती ये जिस्म की भट्ठी है
इत्ना रक़्त कहा और वक़्त कहा।
खुश रहने के दो पहलू है
एक बाहर एक भीतर
लेकिन इस गम की महँगी दुकान पे
बहुत खर्च है यहा बहुत खर्च यहा।
मुमकिन ये कोशिश कर,
बचपन तेरा हर पल हो,
कोशिश कर रोजी की,
चाह बहुत कम हो,
खुशी दर पर तो देख,लेकिन इत्ना वक़्त कहा इत्ना वक़्त कहा।
पा हर खुशी, हर चीज़ तेरे पास है,
मान अस प्रेम को, जो हाथ तेरे साथ है,
मिला गम को मिट्टी मे,बीज बो दे इबादद का।
है खुशी यहा ,है वक़्त यहा ,है प्रेम यहा