Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Apr 2022 · 1 min read

जिंदगी समंदर सी बन गई मेरी

जिंदगी समंदर सी बन गई मेरी
चाहकर भी मैं निकल पाता नहीं
या कोई अनबुझ पहेली हो जैसे
सोचता हूं मगर समझ पाता नहीं
रास्ते इसमें हैं कंटीले बिहड़ जैसे
उलझा हुआ हूं निकल पाता नहीं
पर्वतों से शिखर ढलान तिखी है
कोशिशों से भी मैं चढ़ पाता नहीं
लोग सजाते हैं महफ़िलें रात भर
मेरा तन्हां दिल बहल पाता नहीं
सुना है जिंदगी बेवफा है’विनोद’
प्रेम कैसा फिर समझ पाता नहीं

Language: Hindi
1 Like · 96 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from VINOD CHAUHAN
View all
You may also like:
ओ मां के जाये वीर मेरे...
ओ मां के जाये वीर मेरे...
Sunil Suman
" क़ैदी विचाराधीन हूँ "
Chunnu Lal Gupta
अगर मैं कहूँ
अगर मैं कहूँ
Shweta Soni
Game of the time
Game of the time
Mangilal 713
मात्र एक पल
मात्र एक पल
Ajay Mishra
3225.*पूर्णिका*
3225.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सागर ने भी नदी को बुलाया
सागर ने भी नदी को बुलाया
Anil Mishra Prahari
आप क्या समझते है जनाब
आप क्या समझते है जनाब
शेखर सिंह
सुबह सुबह की चाय
सुबह सुबह की चाय
Neeraj Agarwal
मय है मीना है साकी नहीं है।
मय है मीना है साकी नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
#कहमुकरी
#कहमुकरी
Suryakant Dwivedi
तुम्हारे इश्क़ की तड़प जब से लगी है,
तुम्हारे इश्क़ की तड़प जब से लगी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सब अनहद है
सब अनहद है
Satish Srijan
वृक्ष पुकार
वृक्ष पुकार
संजय कुमार संजू
हमारा विद्यालय
हमारा विद्यालय
आर.एस. 'प्रीतम'
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
हम जो कहेंगे-सच कहेंगे
Shekhar Chandra Mitra
इंसान और कुता
इंसान और कुता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेहनत कर तू फल होगा
मेहनत कर तू फल होगा
Anamika Tiwari 'annpurna '
गरीबी और भूख:समाधान क्या है ?
गरीबी और भूख:समाधान क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
क्या मिटायेंगे भला हमको वो मिटाने वाले .
क्या मिटायेंगे भला हमको वो मिटाने वाले .
Shyamsingh Lodhi Rajput (Tejpuriya)
Don't Be Judgemental...!!
Don't Be Judgemental...!!
Ravi Betulwala
पत्नी (दोहावली)
पत्नी (दोहावली)
Subhash Singhai
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
ମଣିଷ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तब तो मेरा जीवनसाथी हो सकती हो तुम
तब तो मेरा जीवनसाथी हो सकती हो तुम
gurudeenverma198
Hey....!!
Hey....!!
पूर्वार्थ
* विजयदशमी मनाएं हम *
* विजयदशमी मनाएं हम *
surenderpal vaidya
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
अनिल कुमार
मैं जिससे चाहा,
मैं जिससे चाहा,
Dr. Man Mohan Krishna
■ एक_और_बरसी...
■ एक_और_बरसी...
*प्रणय प्रभात*
Loading...