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6 May 2022 · 1 min read

जिंदगी ये बने इक सुहाना सफर।

ग़ज़ल

212…..212…..212…..212
जिंदगी ये बने इक सुहाना सफर।
या खुदा बस दिखाना वही इक डगर।

भटके राही को फल फूल औ’र छांव दे,
दोस्तो इक लगाना है ऐसा शज़र।

कुछ भी नापाक करने की कोशिश न हो,
शरहदों पर हमारी कड़ी हो नज़र।

देश सरकार सोचो करो कुछ जतन,
काम धंधे बिना कैसे होगी गुज़र।

देश प्रेमी मरेंगे सदा देश पर,
कोई लालच न उन पर करेगा असर।

…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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