जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
कल को कुछ और थी, आज कुछ और हूं।
क्या भरोसा जो कल फिर बदल जाऊं मैं
फिर नवेली शकल में नज़र आऊं मैं
क्या करूं, मैं यही हूं। यही तो हूं मैं
जिसको चुनते हमेशा वही तो हूं मैं
न! भरोसा न करना मेरी चाल पर
मैं पहाड़ों से गुजरी हुई राह हूं
कोई सोना नहीं, जो परख लोगे तुम
या कि मखमल के डिब्बे में रख लोग तुम
रंग बदलती हूं सौ, या कि बेरंग हूं
मैं तिलिस्मों से निकला हुआ संग हूं
आओ परखो, कसौटी पे कस लो मुझे
अपने आंखों के आगे ही रख लो मुझे
तयशुदा रास्तों से परे थाह है
जिंदगी मौत तक की सहज राह है
जिंदगी हूं, तो फिर अब गुजारो मुझे
अब न शीशे में ऐसे उतारो मुझे
यूं गुजरते गुजरते गुजर जाऊंगी
वक्त की खाइयों में उतर जाऊंगी
जब तलक हो सके मेरा आनंद लो
मैं अनायास इक रोज मर जाऊंगी।
© Shiva Awasthi