जिंदगी मे हर किसी को आजमाया न गया ।
ग़ज़ल ।जिंदगी मे हर किसी को आजमाया न गया ।
आंसुओं का दौर था वो पर रुलाया न गया ।
जिंदगी मे हर किसी को आजमाया न गया ।
बेमज़ा होती रही सब उम्रभर कुर्बानियाँ ।
फ़र्क इतना सा रहा वादा निभाया न गया ।
कट गयी वो सुखभरी यादें सुहानी शाम बन ।
एक लम्हा गमभरा मुझसे बिताया न गया ।
रंजिशों मे प्यार की नदियां बहानी थी मुझे ।
पर गलतफहमी मे ख़ुद से सर झुकाया न गया ।
दोस्तों की वो वफ़ासत याद न आयी कभी ।
ख़ल रहे नासूर ज़ख़्मो को भुलाया न गया ।
हो गये हम बेवफ़ा बेवज़ह उनकी नज़र मे ।
इश्क़ की दहलीज़ पर जब दिल दुखाया न गया ।
गमभरी बौछार बनकर आह रकमिश दब गयी ।
गीत होठों से यक़ीनन गुनगुनाया न गया ।
Ram Kesh Mishra