जिंदगी भी किताब जैसी
जिंदगी भी किताब जैसी है
फर्क कहां पड़ता हैकिताब खुली हो बंद!!
हर पन्ने पर कहानी लिखी रहती है।
जिंदगी का सफर अभी बाकी है!!
बची वय पन्नों से अभी कुछ खाली है।
भरे पन्नों में लिखी है खट्टी-मीठी यादें,
उकेली गई है मीठी-मीठी सी फरियादें,
नादान बचपन अठखेलियों की बातें,
अल्हड़ जवानी की उल्टी-सीधी रातें,
लिखी सुंदर ख्वाब ले मासूम चंचल आंखें,
जिंदगी की किताब न जाने क्या-क्या कहती है।।
उन पन्नों को चूमो जिससे बरसता है शब्बाब,
पढ़ती हूं वो पन्ना जिस पर छपा जीत का खिताब,
चमकन लाने लगता उर का फीका पड़ा अफताब,
तपन बुझती गम की,हो स्नेह का सुखद अहसास,
पढ़ते-पढ़ते हो शांत भाव चित्त आने लगते सुविचार,
गम को कर देती अलविदा और हर पन्ना हो लाजवाब,
ऊकेरु अनुभव बेमिसाल ना रहे अब कोई मन मलाल
हर दिन आज का आगाज निकलते रहे जीवन के साल,
चाहूं मैं,पढ़ें जीवन की किताब याद रखें सालों साल।
– सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान