जिंदगी बदलते खत
समय की चाल से कदम मिलाकर।
अपनी मस्ती में चलते थे खत।।
बहुत पीछे रह गया वह जमाना।
जब जिंदगी बदलते थे खत।।
अब हर घड़ी सोचता हूं मै ।
कैसी लगी है मुझे लत।
बहुत दिन गुजर गए अब
क्यों नहीं आया तुम्हारा खत।।
नादान है दिल वीरान है दिल।
कैसे कहूं परेशान है दिल।।
गाता है मुरझाता जाता है।
अब दर्द नहीं सह पाता है।।
मुझे लगा किसी और ने।
भर दी उनके दिल में नफरत।।
बहुत पीछे रह गया वह जमाना।
जब जिंदगी बदलते थे खत।।
मूल रचनाकार.. पप्पू कुमार(सेठी)
हापुड़ उत्तर प्रदेश.