जिंदगी दो पल की कहानी !
जिंदगी दो पल की कहानी,
कभी ठहराव, कभी रवानी।
सुख दुख का सब खेला है,
जीवन सपनों का मेला है।
जन्म से जो यात्रा शुरू हुई,
इक दिन मृत्यु में खो जाएगी।
हंसती गाती ये जिंदगी,
काल की गोद में सो जाएगी।
काल का चक्र अनवरत चलता,
बर्फ की भांति जीवन पिघलता।
कभी खुशी कभी आंखो में पानी,
जीवन की बस यही कहानी।
यात्री हैं सब, सफर है जीवन,
कभी शहर कभी ये निर्जन वन।
सांसों की डोर पकड़ चलना है,
कभी गिरना कभी संभलना है।
सफर अलग भले हों सबके,
मंजिल सबकी है एक यहां।
राजा हो या चाकर उनके,
सबकी गति होती एक यहां।
धन दौलत यहीं रह जाना है,
अकेले आना अकेले जाना है।
दुख दुख सब यहीं पर छूटेंगे,
रिश्ते नाते भी आखिर टूटेंगे।
जीवन की क्या खूब कहानी,
दरिया का जैसे बहता पानी।
बचपन से बुढ़ापे की रवानी।
जिंदगी दो पल की कहानी