जिंदगी ढूँढता किधर तन्हा
एक गजल
पेट की भूख से है घर तन्हा,
जिंदगी ढूंढता किधर तन्हा।।
टूटती आस की नजर देखो,
ख्वाहिशो के सभी शजर तन्हा।।
दिल्लगी में हुआ यही अक्सर,
उम्र सारी कटी मगर तन्हा।।
इन अमीरो के ऊँचे महलो में,
राब्तो के सभी सफर तन्हा।
हाल दिल का यही मुहब्बत में
है गजल दूर तो बहर तन्हा।।